ऐसा माना जाता है कि पारस पत्थर लोगों की चीज को छूते ही सोना बना देता है. बताया जाता है कि ये पत्थर भोपाल से करीब 50 किलोमीटर दूर रायसेन के किले में आज भी मौजूद है. जो इस किले के राजा के पास था. ऐसा माना जाता है कि इस पत्थर के कई युद्ध भी हुए. एक बार जब इस किले के राजा से युद्ध हुआ तो उन्हें लगा कि अब वह युद्ध हारने वाले हैं तब उन्होंने पासर पत्थर को किले में मौजूद तालाब में फेंक दिया.
पासर पत्थर को तालाब में फेंकने की बात राजा ने किसी को नहीं बताई. उसी दौरान युद्ध के बाद राजा की मृत्यु हो गई. उसके बाद धीरे-धीरे ये किला वीरान हो गया. राजा की मृत्यु के बाद इस किलो को कई अन्य राजाओं ने खुदवाया लेकिन किसी को पारस पत्थर नहीं मिला.
बता दें कि आज भी लोग यहां रात के समय पारस पत्थर की तलाश में तांत्रिकों को अपने साथ लेकर जाते हैं, लेकिन किसी को यहां कुछ नहीं मिलता. ऐसा माना जाता है कि इस किले में पारस पत्थर की खोज करने वाले लोगों का मानसिक संतुलन खो जाता है. कहा जाता है कि इस पारस पत्थर की रक्षा एक जिन्न करता है. बता दें कि पुरातत्व विभाग को अब तक ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला है. जिससे पता चलता कि पारस पत्थर इसी किले में मौजूद है.