Pakistan: कश्मीर की चाहत में था पाकिस्तान, अब क्या खैबर-पख्तूनख्वा गंवा बैठेगा? तालिबान के आगे बेबस हुई सेना

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KP) प्रांत में कानून और व्यवस्था के हालात बेहद खराब हो गए हैं। यहां आए दिन आतंकी हमले होते रहते हैं जिसमें आम नागरिक सहित पुलिसकर्मी भी मारे जाते हैं। इस इलाके में आतंकी गतिविधियां इतनी बढ़ चुकी है कि सेना भी बेबस नजर आ रही है। अल अरबिया पोस्ट की एक रिपोर्ट है जिसके मुताबिक अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के सीमावर्ती प्रांतों पर आतंकी हमलों की संख्या बढ़ी है। इसके पीछे की मुख्य वजह से है कि पाकिस्तान आम चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है और लगातार सुरक्षा मुद्दों की अनदेखी कर रहा है।



तालिबान पर कब्जे ने आतंकी संगठनों को दी उम्मीद

मध्य पूर्व प्रकाशित होते वाले अल अरेबिया पोस्ट के अनुसार, अफगानिस्ता ने तालिबान की वापसी के बाद से दुनिया के कई अन्य आंतकी समूहों को भी ऐसा लग रहा है कि वे अपने लड़ाकों की मदद से पाकिस्तान में सरकार चला सकते हैं। तालिबान ने उन्हें पाकिस्तान में अपने आतंकवादी अभियान का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया है। बता दें कि ठीक एक महीने पहले तालिबान की पाकिस्तानी शाखा यानी कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) इस्लामाबाद के साथ शांति वार्ता से बाहर हो गया था। उसके बाद से पाकिस्तान के सुरक्षा बल खैबर पख्तूनख्वा में नियमित संघर्ष का सामना कर रहे हैं।

इस्लामिक जिहाद का समर्थन का पड़ा भारी

अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने सत्तर के दशक के बाद से खुले तौर पर अफगानिस्तान में इस्लामिक जिहाद का समर्थन किया है। पड़ोसी देश में कट्टर इस्लामिक जिहाद का समर्थन करना पाकिस्तान की एक बड़ी भूल थी जो कि अब उसके गले की फांस बन चुका है। दरअसल पाकिस्तान को कभी अंदाजा ही नहीं था कि एक चरमपंथी धार्मिक विचारधारा का समर्थन करना भविष्य में कितना खतरनाक साबित हो सकता है? रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को इतने सालों के बाद अपनी गलती का अंदाजा हुआ है और अब जाकर वह अपने 'तालिबान समर्थक' वाले स्टैंड से पीछे हटता नजर आ रहा है।

पीड़ित की तरह व्यवहार कर रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान अब अफगानिस्तान में अपनी विफलताओं से अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाने के लिए आतंकवाद से पीड़ित की तरह व्यवहार कर रहा है। इस बीच, चीन जो हर चीज के लिए पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, वह अब केवल अफगानिस्तान के संसाधनों का इस्तेमाल और दोहन करने में रुचि दिखा रहा है। इसके अलावा ड्रैगन मानवीय संकट की स्थिति के प्रति चुप है और अनभिज्ञ बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल 2021 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), गुल बहादुर समूह, इस्लामिक स्टेट-खुरासन, और कई अन्य के आतंकवादियों ने KP में 165 आतंकी हमले किए जो कि 2020 की तुलना में 48 फीसदी अधिक है। इन सभी हमलों में से 115 हमले अकेले टीटीपी ने कराए थे।

खैबर पख्तूनख्वा में हमले बढ़े

आपको बता दें कि 18 दिसंबर को खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू जिले में एक सुरक्षा परिसर पर TTP के लड़ाकों ने कब्जा कर लिया था। टीटीपी के आतंकवादियों ने अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकलने की मांग करते हुए इस थाने में अधिकारियों को बंधक बना लिया था। बंधकों को छुड़ाने के दौरान हुए मुठभेड़ में 33 आतंकी मारे गए जबकि 3 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी भी मारे गए। इसी तरह, 20 दिसंबर को टीटीपी के आतंकवादी दक्षिण वजीरिस्तान के वाना में एक पुलिस स्टेशन में जबरन घुस गए और हथियार और गोला-बारूद लूटकर सफलतापूर्वक फरार हो गए थे।

खैबर-पख्तूनख्वा से हाथ धो बैठेगा पाक?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने बन्नू बंधक घटना पर बोलते हुए कहा कि "आतंकवाद के माध्यम से पाकिस्तान में अराजकता फैलाने का प्रयास लोहे के हाथों से निपटा जाएगा"। हालांकि विडंबना यह है कि जमीनी सुरक्षा संकट से निपटने के लिए सरकार द्वारा कोई वास्तविक कदम नहीं उठाए गए हैं। टीटीपी पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा से लगते जनजातीय क्षेत्र में अपनी हुकूमत चलाना चाहता है। इसी वजह से वह पाकिस्तान सेना की मौजूदगी नहीं चाहता है। और इस वजह से फौज उसका टकराव होता रहता है। कहां तो कश्मीर के लिए हजार सालों तक जंग लड़ने का दावा करने वाला पाकिस्तान अब अपने प्रांत को हाथ से निकलते हुए जाते देख रहा है।

source: Digital media

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