बिहार भारत का वो राज्य है, जो नेपाल की सीमा से सटा है। इसे मठों की भूमि भी कहते हैं। जनसंख्या की दृष्टि से यह भारत का तीसरे सबसे बड़ा राज्य है। वैसे तो बिहार राजनीति को लेकर हमेशा चर्चा में रहता है, इसलिए बिहार को लेकर लोगों का नजरिया थोड़ा अलग है। लेकिन यह जगह किसी अजूबे से कम नहीं है। जी हां, यहां ऐसी कई स्मारक हैं, जो देखने लायक हैं। यूं तो दुनिया में सात अजूबे हैं, लेकिन आप कभी बिहार जाएंगे, तो जान पाएंगे कि बिहार में भी अजूबों की अपनी दुनिया है।
महाबोधि मंदिर परिसर
बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर एक बौद्ध तीर्थस्थल और श्रद्धांजलि स्थल है। स्मारकों की श्रृंखला में भिक्षुओं, भक्तों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से बौद्ध धर्म में एकमात्र सबसे सम्मानित अवशेष स्थल है: पीपल वृक्ष की वंशावली जिसके तहत गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसके निकट मुख्य मंदिर से लगा हुआ एक उठा हुआ चबूतरा है। यह पॉलिश किए गए बलुआ पत्थर से बना है और इसे वज्रासन (हीरा सिंहासन) के रूप में जाना जाता है, अशोक द्वारा निर्मित और पवित्र किया गया था, जहां बुद्ध माना जाता है कि बैठकर ध्यान लगाया था।
विक्रमशिला यूनिवर्सिटी
बिहार की भागलपुर से कुल 50 किमी की दूरी पर विक्रमशिला यूनिचर्बिअी देखने लायक है। बताते हैं कि पाल राजा धर्मपाल ने 8वीं शताब्दी के अंत और 9वीं शताब्दी के शुरूआत में यह यूनिवर्सिटी बनवाई थी। 100 एकड़ में फैली यह यूनिवर्सिटी सीखने के लिए बहुत अच्छी जगह है। इसे 1193 में बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था। अब इस जगह का इस्तेमाल विक्रमशिला महोत्सव के लिए किया जाता है।