Chitrakoot Madhya Pradesh: चित्रकूट पर्यटन के साथ ही अपने आध्यात्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है. वनवास काल में साढ़े ग्यारह वर्षों तक यह जगह भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की निवास स्थली रही. यहां की प्राकृतिक सुंदरता धार्मिक यात्रियों के मन को मोह लेती है. सैलानी यहां खूबसूरत झरने और जंगल में नाचते मोरों को देखकर रोमांचित हो उठते हैं. प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक महत्व की वजह से यह जगह सदा से ही पर्यटकों को आकर्षित करती है. प्राचीन काल से चित्रकूट में साधु और संतों ने उच्च आध्यात्मिक स्थिति प्राप्त की है. ऐसा कहा जाता है कि आज भी संत चित्रकूट में आध्यात्मिक ज्ञान के लिए जाते हैं.
अत्री, अनुसूया, दत्तात्रेय, महर्षि मार्कंडेय, सारभंग, सुतीक्ष्ण और विभिन्न अन्य ऋषियों और संतों ने चित्रकूट में समय व्यतीत किया. ऐसा कहा जाता है कि यह पवित्र स्थान महान ऋषियों द्वारा बसाया गया है. ऋषि भारद्वाज और वाल्मीकि दोनों इस क्षेत्र के बारे में प्रशंसित शब्दों में बोलते हैं और भगवान राम को अपने वनवास की अवधि में इसे अपना निवास बनाने के लिए सलाह देते हैं. 'अध्यात्म रामायण' और 'बृहत् रामायण' में चित्रकूट का बेहद महत्व बताया गया है. महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य 'रघुवंश' में इस स्थान का सुंदर वर्णन किया है.
महाकवि तुलसीदास ने रामचरित मानस, कवितावली, दोहावली और विनय पत्रिका में इस स्थान का उल्लेख किया है. तुलसीदास ने भगवन राम की पूजा और उनके दर्शन की लालसा में अपना काफी वक्त चित्रकूट में व्यतीत किया. कहा जाता है कि हनुमान जी ने उन्हें चित्रकूट में ही उनके आराध्य प्रभु राम के दर्शन करवाये.
श्रद्धालु यहां राम घाट के दर्शन कर सकते हैं. यह मंदाकनी नदी के किनारे पर बना है. इस घाट पर भगवान श्रीराम ने स्नान किया था और पिता राजा दशरथ की अस्थियों का विसर्जन किया था. इस घाट पर स्नान करने से पुण्य मिलता है.श्रद्धालु यहां सती अनुसुइया आश्रम देख सकते हैं. यह शहर से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगल में स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि अत्रि अपनी पत्नी अनुसूया और तीन पुत्रों के साथ इस स्थान पर निवास करते थे. भगवान राम ने मां सीता के साथ इस स्थान का दौरा किया था और देवी अनुसुइया ने इसी स्थान पर सीता जी को सतित्त्व का महत्व बताया था.
टूरिस्ट यहां कामदगिरि पर्वत देख सकते हैं. इस धनुषाकार पर्वत पर स्थित झील सैलानियों को आकर्षित करती है. चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों में भरत मिलाप मंदिर शामिल है. भगवान राम और भरत का मिलाप इसी जगह पर हुआ था. भगवान राम के पद चिन्हों के निशान आज भी इस स्थान पर हैं.चित्रकूट से करीब 5 किलोमीटर दूर हनुमान धारा है. हनुमान जी के दर्शन के लिए सैलानियों को यहां 360 सीढ़ियां चढ़के जाना होता है. कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी. सैलानी यहां जानकी कुण्ड देख सकते हैं. जानकी कुंड मंदाकनी नदी का एक सुंदर किनारा है. यहां राम मंदिर बना हुआ है.