मोतिहारी में हैं तो इन जगहों पर अवश्य घूमें
मोतिहारी के नजदीक केसरिया दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध स्तूपों में से एक है और यही कारण है कि दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां पर आना और इस स्तूप के दर्शन करने के लिए आते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने साल 1998 में इसकी खुदाई की गई थी। यह स्तूप लगभग 104 फीट ऊंचा है। बता दें कि इसे राजा बेन का देवड़ा भी कहा जाता है। इस स्तूप को लेकर मान्यता है कि भगवान बुद्ध के निर्वाण प्राप्त करने से पहले वैशाली में लिच्छिवियों द्वारा इसका निर्माण किया गया था।
मोतिहारी में गांधी मेमोरियल की नींव वर्ष 1972 में तत्कालीन राज्यपाल श्री डी.के.बरूच ने रखी थी। यह स्मारक दमनकारी ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की याद के रूप में बनाया गया है। मोतिहारी में ही महात्मा गांधी ने सबसे पहले गरीब किसानों के खिलाफ किए जाने वाले अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ सत्याग्रह किया था। गांधी मेमोरियल में एक लाइब्रेरी के अलावा म्यूजियम स्थित है, जिसमें चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी कुछ तस्वीरें रखी गई हैं।
जॉर्ज ऑरवेल स्मारक
मोतिहारी का संबंध सिर्फ आजादी पाने के लिए किए गए प्रयासों से ही नहीं है, बल्कि यह शहर अंग्रेजी साहित्य से भी गहरा नाता रखने के लिए जाना जाता है। आपको शायद पता ना हो लेकिन अंग्रेजी साहित्य के महान लेखक जॉर्ज ऑरवेल का जन्म स्थान भी यही है। इसलिए, इस महान लेखक की याद मे यहां पर जॉर्ज ऑरवेल स्मारक बनाया गया है।
मोतीझील
यह एक बेहद ही खूबसूरत नहर है, जो शहर के मध्य में स्थित है। यहां पर आने वाला हर सैलानी एक बार मोती झील के मनोरम दृश्यों को देखने का आनंद अवश्य उठाते हैं। अगर आप यहां पर हैं तो आपको सूर्यास्त का नजारा अवश्य देखना चाहिए। इससे व्यक्ति को बेहत ही सुकून होता है और आप प्रकृति की खूबसूरती को बेहद ही करीब से देख पाते हैं। आप यहां पर प्रकृति की खूबसूरती को निहारने के अलावा बोटिंग का आनंद भी ले सकते हैं।
गायत्री मंदिर
यह मंदिर स्वयं में बेहद ही अनूठा है और इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, यदि कोई गायत्री देवी की पूजा करता है, तो उसे उच्च स्तर का ज्ञान प्राप्त होता है। यही कारण है कि लोग सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस मंदिर में दर्शन के लिए अवश्य आते हैं।अरेराज शिव मंदिर
मोतिहारी से लगभग 30 किलोमीटर दूर अरेराज शिव मंदिर एक बेहद ही पवित्र मंदिर है, भगवान शिव को समर्पित है। यह तेली नदी के तट पर स्थित है और इसे एक बेहद ही प्राचीन मंदिर माना गया है। श्रावणी मेले के दौरान इस मंदिर मे दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस दौरान यहां पर उत्सवों का आयोजन किया जाता है और इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए पूरे देश ही नहीं, बल्कि नेपाल से भी लाखों तीर्थयात्री आते हैं।
तो अब आप जब भी बिहार जाएं तो मोतिहारी के इन स्थानों को अवश्य देखें। साथ ही अपना एक्सपीरियंस हमारे साथ फेसबुक पेज के कमेंट सेक्शन पर अवश्य शेयर कीजिएगा।
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