इसी के साथ 530 दिनों से जेल में बंद मनीष सिसोदिया की रिहाई का रास्ता साफ़ हो गया है.
मनीष सिसोदिया को 26 फ़रवरी 2023 को सीबीआई ने दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ़्तार किया था.
बाद में 9 मार्च 2023 को उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने भी गिरफ़्तार कर लिया था.
मनीष सिसोदिया तब से ही जेल में बंद थे. हालांकि 10 नवंबर 2023 को अपनी बीमार पत्नी से मिलने के लिए वो पेरोल पर जेल से बाहर आए थे.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी के मामलों में मनीष सिसोदिया को नियमित ज़मानत दी है.
हालांकि, मनीष सिसोदिया को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा. सिसोदियों को जांच के दौरान हर सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा.
सीबीआई ने अदालत में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को मनीष सिसोदिया की ज़मानत पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया के दिल्ली सचिवालय (मुख्यमंत्री कार्यालय) जाने पर रोक लगाने की भी मांग की थी.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया.
शराब नीति घोटाला मामले में ही जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम ज़मानत देते वक़्त अदालत ने उनके कार्यालय जाने पर रोक लगा दी थी.
केजरीवाल को लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने के लिए ज़मानत दी गई थी.
सीबीआई ने सिसोदिया की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत से कहा कि उनकी याचिका विचार योग्य नहीं है क्योंकि सिसोदिया को ज़मानत के लिए पहले निचली अदालत का रुख करना चाहिए.
ये तीसरी बार था जब मनीष सिसोदिया ने ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था
पिछले साल 30 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी ज़मानत याचिका तो ख़ारिज कर दी थी लेकिन उनके लिए एक संभावना बनाते हुए हुए कहा था कि अगले 6 से 8 महीनों के भीतर अगर ट्रायल पूरा नहीं होता है तो वो दोबारा ज़मानत याचिका दायर कर सकते हैं.
सिसोदिया की ये पहली ज़मानत याचिका ख़ारिज होने के छह महीने बाद भी जब ट्रायल शुरू नहीं हुआ तो सिसोदिया ने एक बार फिर ज़मानत याचिका दायर की लेकिन 21 मई 2024 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दी. सिसोदिया ने ज़मानत के लिए मुक़दमे की सुनवाई में हो रही देरी का हवाला दिया था.
सिसोदिया ने जून में ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन इस बार प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया कि 3 जुलाई तक चार्जशीट दाख़िल कर दी जाएगी. इस दलील के दर्ज करते हुए अदालत ने याचिका को सुनने से इनकार कर दिया.
मनीष सिसोदिया ने पिछले महीने एक बार फिर से ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. अदालत ने 6 अगस्त को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. अब उन्हें नियमित ज़मानत दे दी गई है और उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ़ हो गया है.
मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ क्या मामला है?
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली शराब नीति में कथित गड़बड़ियों के ख़िलाफ़ जुलाई 2022 में शिकायत दी थी.
इस शिकायत पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने मुक़दमा दर्ज किया था.
मनीष सिसोदिया के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया था.
केजरीवाल इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं जबकि संजय सिंह ज़मानत पर रिहा हैं.
मनीष सिसोदिया और अन्य अभियुक्तों पर सीबीआई और ईडी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं.
आरोप है कि चुनिंदा कारोबारियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली की शराब नीति को बदला गया था और इन कारोबारियों ने आम आदमी पार्टी के कई नेताओं और अधिकारियों को शराब नीति में बदलाव करवाने के लिए रिश्वत दी. हालांकि अभी ये आरोप अदालत में सिद्ध नहीं हो सके हैं.
कैसे आगे बढ़ी शराब नीति घोटाले की कहानी?
दिल्ली के तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सितंबर 2020 में आबकारी आयुक्त रवि धवन की अध्यक्षता में नई शराब नीति के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था.
इस विशेषज्ञ समिति ने शराब नीति में बदलाव के सुझाव देते हुए अपनी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपी थी. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक रखा गया था और दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि चौदह हज़ार से अधिक लोगों ने इसके लिए अपने सुझाव भेजे थे.
फ़रवरी 2021 में दिल्ली सरकार ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन और राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत की अध्यक्षता में शराब नीति पर अध्ययन के लिए मंत्री समूह का गठन किया था.
22 मार्च 2021 को इस सिसोदिया की अध्यक्षता वाले इस मंत्री समूह ने अपनी सिफ़ारिशें सौंपी थी और नई आबकारी नीति को मंज़ूरी दे दी गई थी.
15 अप्रैल 2021 को जब इस नई नीति को तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजा गया तो उन्होंने कुछ सुझाव देते हुए सरकार को नीति में उचित संसोधन करने की सलाह दी.
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने सुझावों को मानते हुए नई शराब नीति को लागू कर दिया.
जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिसोदिया पर "कमीशन" और ''रिश्वत'' के बदले शराब विक्रेता लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ देने का आरोप लगाया गया. मुख्य सचिव ने आर्थिक अपराध शाखा को भी रिपोर्ट सौंपी.
कब क्या हुआ
22 जुलाई को दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफ़ारिश करते हुए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था. इसके एक सप्ताह बाद ही दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को वापस लेने की घोषणा कर दी थी और पुरानी शराब नीति को लागू कर दिया था.
6 अगस्त को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली आबकारी विभाग के कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया.
17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत 14 अभियुक्तों को ख़िलाफ़ कथित भ्रष्टाचार के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया. अभियुक्तों में तत्कालीन आबकारी आयुक्त समेत तीन अधिकारी भी शामिल थे. सीबीआई ने आपराधिक साज़िश और धोखाधड़ी के आरोप लगाये.
19 अगस्त 2022 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के घर समेत सात राज्यों में 21 ठिकानों पर छापेमारी की.
इसी दौरान, प्रवर्तन निदेशालय ने भी दिल्ली शराब नीति में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया.
28 सितंबर 2022 को इंडोस्पिरिट कंपनी के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू, कारोबारी और आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी विजय नायर को ईडी ने गिरफ़्तार कर लिया था.
इसके बाद अगले कई महीनों तक ईडी और सीबीआई मनीष सिसोदिया पर शिकंजा कसते रहे.
आम आदमी पार्टी और सिसोदिया अपने आप को फंसाये जाने के आरोप लगाते रहे और फिर फ़रवरी 2023 में सिसोदिया को गिरफ़्तार कर लिया गया.
दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में राजनेताओं, अधिकारियों और शराब कारोबारियों समेत कुल पंद्रह लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. इनमें से कई लोग सरकारी गवाह बन चुके हैं।
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