Manu Bhaker at Paris Olympics 2024: फ्रांस में चल रहे पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत की मनु भाकर ने रविवार (28 जुलाई) को इतिहास रच दिया। हरियाणा की निशानेबाज ने चेटेउरौक्स शूटिंग सेंटर में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में कांस्य जीतकर भारत के लिए पेरिस 2024 ओलंपिक में पहला पदक हासिल किया।
वह निशानेबाजी में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं।
पेरिस 2024 ओलंपिक में निशानेबाजी में भारत के अभियान की निराशाजनक शुरुआत हुई। 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम स्पर्धा में दोनों भारतीय टीमें पदक मुकाबलों के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहीं। निराशा जारी रही क्योंकि अरबजोत सिंह और अर्जुन चीमा भी पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता के अंतिम दौर में जगह नहीं बना सके।
हालांकि, शीर्ष निशानेबाज मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के क्वालिफिकेशन राउंड में तीसरे स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बनाकर भारत की पदक की उम्मीदों को जिंदा रखा और आखिरकार पेरिस 2024 ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल में ऐतिहासिक कांस्य पदक के साथ अपने प्रदर्शन का समापन किया।
भाकर की इस ऐतिहासिक उपलब्धि तक का सफर चुनौतीपूर्ण रहा
ओलंपिक मेडल जीतने वाली मनु भाकर का जन्म हरियाणा के झज्जर जिला के गोरिया गांव में 18 फरवरी 2002 में हुआ था। मनु के पिता रामकिशन भाकर मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर हैं। उनकी मां सुमेधा भाकर गृहणी हैं। अखिल भाकर भाई हैं। ज्वाइंट फैमिली वाला परिवार साथ ही रहता है। मनु भाकर ने अपनी उच्च शिक्षा लेडी श्रीराम महिला कॉलेज से हासिल की है। लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी के अधीन है।
मनु भाकर का यह दूसरा ओलंपिक है। उन्होंने 2020 में टोक्यो में ओलंपिक में पदार्पण किया, जहां 10 मीटर एयर पिस्टल क्वालीफिकेशन राउंड के दौरान उनकी पिस्टल में खराबी आ गई, जिससे वह पदक नहीं जीत पाईं। हालांकि, इस बार मनु ने ऐतिहासिक कांस्य पदक हासिल किया।
पेरिस 2024 ओलंपिक में, 22 वर्षीय मनु भाकर 21 सदस्यीय भारतीय शूटिंग टीम से कई स्पर्धाओं में प्रतिस्पर्धा करने वाली एकमात्र एथलीट हैं। वह महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम और महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में भाग ले रही हैं।
हरियाणा के झज्जर में जन्मी मनु भाकर अपने स्कूल के दिनों में टेनिस, स्केटिंग और बॉक्सिंग सहित विभिन्न खेलों में शामिल रहीं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पदक अर्जित करते हुए 'थान ता' नामक मार्शल आर्ट का भी अभ्यास किया। बॉक्सिंग के दौरान आंख की चोट के कारण उनका बॉक्सिंग करियर खत्म हो गया, लेकिन खेल के प्रति उनके जुनून ने उन्हें एक निशानेबाज के रूप में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।
मनु ने 2023 एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में पांचवें स्थान पर रहकर पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए भारत का कोटा हासिल किया। वह आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय हैं और गोल्ड कोस्ट 2018 में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियन भी हैं, जहां उन्होंने अपनी शीर्ष पदक जीत के साथ सीडब्ल्यूजी रिकॉर्ड बनाया।
उन्होंने बताया कि, "भगवत गीता का संदेश पाकर वे पदक जीतने तक की राह तय कर सकी है। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए संदेश कर्म करो फल की चिंता मत करो का पालन करने की बात भी कही है।"
बता दें, भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने इतिहास रच दिया है। मनु ने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टर इवेंट में 221.7 का स्कोर पाकर कांस्य पदक जीता है। वो ओलंपिक में जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर बनी है।
भगवान श्री कृष्ण की बातें मेरे दिमाग में थी- मनु भाकर
मनु भाकर ने जीतने के बाद कहा, "मैं सिर्फ अपना बेस्ट प्रदर्शन करने पर ध्यान देती हूं। मैं अपने भाग्य को तो कंट्रोल नहीं कर सकती हूं। मेडल जीतने के आखिरी पलों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से सिर्फ अपने काम पर ही फोकस करने को कहा था। वह सब मेरे दिमाग में भी चल रहा था।"
उन्होंने आगे कहा कि, "टोक्यों ओलंपिक मेरे लिए निराशाजनक रहा था। लेकिन जो बीत गया वो बीत गया। यह मेडल हम सभी के लिए है। यह हमेशा टीम वर्क होता है। मैं भारत के लिए यह मेडल जीतने के लिए सिर्फ एक माध्यम हूं।"
बचपन से थी खेलों में रुची
जानकारी के लिए बता दें कि, मनु भाकर हरियाणा के झज्जर से है। बचपन से ही मनु को खेलों में रुची रही है। वह जब 14 साल की थी, तभी उन्होंने निशानेाजी में अपना करियर बनाने का फैसला लिया था। उन्होंने जब अपने पिता राम किशन भाकर से शूटिंग की प्रैक्टिस के लिए पिस्टल लाने को कहा तो उनके पिता ने भी उनके फैसले का सम्मान किया और उन्हें पेस्टल लाकर दे दी। उनके पिता के इस फैसले से आज मनु भाकर को ओलंपियन बना दिया है। वह टेनिस से लेकर स्केटिंग और मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं में अक्सर हिस्सा लेती रहती थी। इसके अलावा उन्होंने एक मार्शल आर्ट में भी हिस्सा लिया था। जिसे नेशनल लेवल पर मेडल जीतने वाली थान टा के नाम से जाना जाता है।
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