इससे पहले यह भंडार सन् 1978 में खोला गया था। रत्न भंडार खुलने के बाद कैसे रिकॉर्ड दर्ज किया जाएगा, अंदर से क्या क्या निकलेंगे, और इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कौन करेगा? ये सवाल मन में आते हैं।
फिलहाल कड़ी सुरक्षा के मद्देनजर जगन्नाथ मंदिर के बाहर आरएएफ कर्मी तैनात हैं। पुरी एसपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि, सब कुछ मानक संचालन प्रक्रिया के मुताबिक किया जा रहा है। हाई लेवल कमिटी और उसके सदस्य भंडार से बाहर आने के बाद जानकारी देंगे। इस दौरान भंडार गृह में सरकार के प्रतिनिधि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारी, श्री गजपति महाराज के प्रतिनिधि समेत 11 लोग उपस्थित हैं। रत्न भंडार खोलने के लिए न्यायाधीश विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में एक पैनल बनाया गया था।
भंडार खुलने के बाद क्या होगा?
अधिकारियों के अनुसार, रत्न भंडार में रखें कीमती वस्तुओं की डिजिटल लिस्टिंग किया जाएगा। लिस्टिंग में उनके वजन और निर्माण की बारीक जानकारियां होंगी। यह फैसला राज्य सरकार ने लिया है। ASI के सुपरिटेंडेंट डीबी गडनायक ने कहा कि, इंजीनियर का एक समूह मरम्मत कार्य के लिए रत्न भंडार का निरीक्षण करेंगे। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि, आधिकारिक तौर पर आखिरी बार सन 1978 में मंदिर का खजाना खोला गया था।
ये करेंगे निगरानी
रत्न भंडार को खोला गया है। यहाँ रखे गहनों और कीमती सामानों को गर्भगृह के भीतर तय कमरों में ले जाने की तैयारी है। इस ऑपरेशन की निगरानी श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पधी कर रहे हैं। टीम में आरबीआई, एएसआई, रत्न भंडार के संबंधित लोग शामिल हैं।इनके अलावा प्रबंध समेत उच्च स्तरीय समितियों के मेंबर भी शामिल हैं।
क्या है रत्न भंडार?
चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर में एक खास रत्न भंडार है। रत्न भंडार को भगवान जगन्नाथ का खजाना कहा जाता है। इसमें जगन्नाथ मंदिर के तीनों आराध्य भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा के गहने रखे हैं। ये पुराने आभूषण उस दौर के कई राजाओं और भक्तों ने दान में दिया था। रत्न भंडार के दो भाग हैं, जिसमे से बाहरी भाग में रखें आभूषणों को भगवान जगन्नाथ अक्सर धरण करते हैं। मगर भीतरी भंडार को पिछले 46 सालों से नहीं खोल गया है। 2018 में भी इसके द्वार को खोलने की बात हुई थी, मगर किसी कारण से नहीं खोल गया।
क्या-क्या मिला?
जगन्नाथ मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। लोगों की भगवान बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ के 12 वीं सदी में स्थापित इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है। रथयात्रा के बाद आज यह मंदिर फिर सुर्खियों में है। मंदिर का रत्न भंडार खोलने के लिए दिन और समय पहले से ही तय था। इससे पहले आभूषणों को रखने के लिए लकड़ी के 6 संदूक पुरी पहुंच गए थे। ये संदूक सागवान की लकड़ी से निर्मित हैं। इनके अंदर धातु की परत है। एक संदूक उठाने के लिए 8 से 10 लोगों को लगें। मंदिर के रत्न भंडार से 367 आभूषण मिले, जिनका भार 4,360 तोला था।
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