यह जानकारी सिकंदराराऊ के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) की प्रारंभिक रिपोर्ट से मिली है, जिसे जिलाधिकारी को सौंप दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, सत्संग (धार्मिक समागम) की अनुमति देने वाले एसडीएम भी घटना के समय कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे।
रिपोर्ट में कहा गया, "सत्संग पंडाल में दो लाख से अधिक लोगों की भीड़ मौजूद थी। श्री नारायण साकार हरि (भोले बाबा) दोपहर करीब 12.30 बजे सत्संग पांडाल में पहुंचे और कार्यक्रम एक घंटे तक चला। इसके बाद करीब 1.40 बजे श्री नारायण साकार हरि (भोले बाबा) पंडाल से निकलकर राष्ट्रीय राजमार्ग -91 पर एटा की ओर जाने लगे।" रिपोर्ट में कहा गया कि जब बाबा कार्यक्रम स्थल से जा रहे थे, तो उनके अनुयायी उनके दर्शन के लिए उनकी ओर दौड़ने लगे और उनके पैरों के पास से मिट्टी एकत्र करने लगे।
दो जुलाई की रिपोर्ट में कहा गया है, "सत्संगी महिलाएं/पुरुष/बच्चे आदि बाबा के चरणों की धूल माथे पर लगाने लगे, उनके दर्शन करने लगे, उनके पैर छूने लगे और उनका आशीर्वाद लेने लगे।" रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति तब और खराब हो गई, जब आगे सड़क के डिवाइडर पर इंतजार कर रहे लोग उनके वाहन की ओर दौड़ने लगे।
इसमें कहा गया है, "जीटी रोड के बीचों-बीच और किनारों पर पहले से ही बड़ी संख्या में लोग डिवाइडर पर खड़े थे, जो बाबा के दर्शन पाने के लिए डिवाइडर से कूदकर उनके वाहन की ओर दौड़ने लगे।” रिपोर्ट में कहा गया है कि तभी बाबा के निजी सुरक्षाकर्मियों (ब्लैक कमांडो) और सेवादारों ने भीड़ को रोकने के लिए खुद ही भीड़ को धक्के मारना शुरू कर दिया जिससे कुछ लोग गिर गए।" उसमें कहा गया है कि इससे अफरा तफरी मच गई और भीड़ बेकाबू हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, “ इसके कारण भीड़ राहत पाने के लिए कार्यक्रम स्थल के सामने सड़क के दूसरी ओर खुले मैदान की ओर भागी, जहां सड़क से मैदान की ओर उतरते समय गीली ढलान के कारण अधिकतर लोग फिसलकर गिर गए।” उसमें कहा गया है कि जो लोग गिरे, वे उठ नहीं सके और पीछे से आ रहे लोगों ने उन्हें कुचल दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ थाने में दर्ज प्राथमिकी में 'मुख्य सेवादार' देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों को नामज़द किया गया है।
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हाथरस कांड पर क्या बोला सूरजपाल उर्फ भोले बाबा
हाथरस जिले में हुई सत्संग में मची भगदड़ से अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है। इस सत्संग का आयोजन सिकंदराराउ इलाके के फुलराई गांव में हुआ था। ये सत्संग नारायण साकार हरि उर्फ साकार विश्व हरि का था। इन्हें लोग 'भोले बाबा' बुलाते हैं. भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। पूरे मामले पर सूरजपाल उर्फ भोले बाबा ने सफाई दी है।
हाथरस हादसे पर सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का बयान
हाथरस हादसे पर सूरजपाल उर्फ भोले बाबा ने पहला बयान जारी किया है। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा ने कहा है कि मैं हादसे से पहले ही वहां से चला गया था। भगदड़ से होने वाली मौतों पर बाबा ने दुख जताया है
हाथरस हादसे में 3 अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं की भी मृत्यु
मंगलवार को हाथरस में हुए हादसे में मारे गए श्रद्धालुओं में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ 3 अन्य राज्यों के श्रद्धालु भी शामिल हैं। इनमें मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के श्रद्धालु शामिल हैं। वहीं, प्रदेश के अंदर 17 जनपदों के श्रद्धालुओं की भी मृत्यु हुई है। इन सभी मृतकों के परिजनों को योगी सरकार सहायता राशि प्रदान करेगी। जिला प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की सूची में 6 मृतक अन्य राज्यों से है। इनमें मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक, हरियाणा के पलवल से एक और फरीदाबाद से 3, जबकि राजस्थान के डीग से 1 श्रद्धालु शामिल है।
अब बाबा और कार्यक्रम के आयोजकों पर सवाल उठ रहे हैं और उनके आश्रम से जुड़े कई राज भी सामने आने लगे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से लिखा जा रहा है कि बाबा हमेशा सफ़ेद कपड़ों में रहते थे और उनके कमरे में सिर्फ लड़कियों को एंट्री मिलती थी। इस हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई है और बड़ी तादाद में घायल भी अस्पताल में भर्ती हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस से भोले बाबा बनने तक का सफर
नारायण साकार विश्व हरि के भोले बाबा बनने से पहले उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल सूरज पाल सिंह के तौर पर जाना जाता था। सूत्रों ने बताया कि 58 वर्षीय सूरज पाल सिंह कासगंज जिले के बहादुर नगर गांव के एक दलित परिवार से है। जो हाथरस से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। भगदड़ के बाद बाबा के गांव का दौरा करने वाले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लगभग एक दशक तक पुलिस बल में सेवा देने के बाद भोले बाबा (सूरज पाल सिंह) ने नौकरी छोड़ दी थी। उनकी आखिरी पोस्टिंग आगरा में थी।
जानकारी के मुताबिक सूरज पाल सिंह शादीशुदा है और उनके कोई बच्चे नहीं हैं। पुलिस बल छोड़ने के बाद अपना नाम भोले बाबा रख लिया था। जबकि उनकी पत्नी को माताश्री के नाम से जाना जाता है। बाबा ने अपने खिलाफ़ किसी साजिश के संदेह में लगभग पाँच साल पहले गाँव छोड़ दिया था।
बोले बाबा के सत्संग कथा में लाखों की भीड़ थी। जिसमें सत्संग के बाद बाबा के चरण की धूल लेने के लिए गए भक्तों के बीच भगदड़ मच गई। जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई है।
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