यह उत्तर बिहार का हिस्ट्रीशीटर है और शराब माफिया के तौर पर जाना जाता है।
मुजफ्फरपुर के साहेबगंज में राम नरेश साहनी को रावण के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली में अपराध शाखा में 2014 में दर्ज ड्रग्स तस्करी के एक मामले में भी राम नरेश वांछित था। कोर्ट ने उक्त मामले में उसे भगोड़ा घोषित कर रखा था।
कई आपराधिक मामलों में आरोपी
इसके खिलाफ दिल्ली, बिहार और गुजरात में हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, अपहरण, लूटपाट, रंगदारी वसूलने, वाहन चोरी, ड्रग्स तस्करी, शस्त्र अधिनियम, धोखाधड़ी के 25 से अधिक मामले दर्ज हैं।
गिरोह में 50 से ज्यादा बदमाश
अपर पुलिस आयुक्त, अपराध शाखा संजय भाटिया ने बताया कि राम नरेश साहनी की तलाश में पांच जनवरी को अपराध शाखा की एक टीम बिहार भेजी गई। टीम ने स्थानीय मोतीपुर पुलिस के सहयोग से राम नरेश साहनी को मुजफ्फरपुर की पारू स्थित तहसील से गिरफ्तार किया। पूछताछ से पता चला कि इसके गिरोह में 50 से ज्यादा बदमाश हैं।
नहीं करता था कोई मुखबिरी
साहेबगंज का कोई भी व्यक्ति इसके बारे में पुलिस को मुखबिरी नहीं करता था। पुलिस से बचने के लिए वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल बहुत कम करता था, साथ ही निरंतर मोबाइल भी बदलते रहता था। यहां तक की वह अपना ठिकाना और हुलिया भी बदलता रहता था।
2006 में अपराध की दुनिया में रखा कदम
स्थानीय पुलिस का दबाव बढ़ने पर वह अक्सर कुछ समय के लिए नेपाल भाग जाता था। 2006 में उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। शराब के अवैध धंधे व आपराधिक वारदात के जरिए उसने काफी धन अर्जित किया। उसके खिलाफ पहली एफआईआर 2005 में गुजरात के सूरत में हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं में दर्ज की गई थी।
उसी वर्ष उसने साहेबगंज में भी एक हत्या की वारदात को अंजाम दिया था। वह साहेबगंज का हिस्ट्रीशीटर है। 2012 में दिल्ली में इसके खिलाफ ड्रग्स तस्करी का मामला दर्ज हुआ था। उक्त मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। 10 जुलाई 2013 में राम नरेश साहनी को बेटी की शादी के लिए जमानत मिली थी उसके बाद से वह फरार चल रहा था। जिससे कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था।
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