सहयोगी कर्मचारी राजू वाल्मीकि भी उसके साथ था. तभी अचानक से दरियाई घोड़े ने दोनों पर हमला कर दिया. जिस कारण सूरज और राजू वाल्मीकि बुरी तरह घायल हो गए.
दोनों की चीख पुकार सुन चिड़ियाघर के अन्य कर्मचारी वहां पहुंचे. उन्होंने तुरंत दरियाई घोड़े को किसी तरह कंट्रोल किया. फिर घायल सूरज और राजू को लेकर वे लोग नजदीक के श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल पहुंचे. वहां, इलाज के दौरान सूरज की मौत हो गई. जबकि, राजू का इलाज चल रहा है.
जानकारी के मुताबिक, मृतक सूरज पिछले 12 सालों से लखनऊ प्राणि उद्यान में सफाई का काम करता था. उसे इस काम के 5500 रुपये हर महीने मिलते थे. जब सूरज की मौत की खबर परिजनों को लगी तो वे फूट-फूट कर रोने लगे. क्योंकि अकेली सूरज की घर में कमाने वाला था. उसकी तनख्वाह से ही पूरे घर का खर्च चलता था.
सूरज अपने पीछे मां, बीवी और दो बच्चों को अकेला छोड़ गया है. उसकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. सूरज के साले विकास ने बताया कि रोज की तरह वह काम के लिए चिड़ियाघर गया था. सबसे पहले वो सफाई करने के लिए हिप्पो के बाड़े में गया. लेकिन अचानक से हिप्पो ने उस पर अटैक कर लिया, जिससे वह जख्मी हो गया. उसका साथी भी दरियाई घोड़े के हमले में घायल हो गया था. दोनों को अस्पताल ले जाया गया. लेकिन सूरज की मौत हो गई.
सूरज के घर पर पसरा मातम
सूरज की मौत से घर में मातम पसरा है. परिवार में वही इकलौता कमाने वाला था. लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित कैंपवेल रोड के बरौरा का रहने वाला सूरज करीब 12 साल से चिड़ियाघर में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा था. उसे 5,500 रुपये वेतन मिलता था. परिवार में पत्नी लता के साथ दो बच्चे हैं. चिड़ियाघर प्रशासन की तरफ से मिली 50 हजार रुपये की मदद के बाद परिवार और ज्यादा आर्थिक मदद और नौकरी की मांग कर रहा है. फिलहाल, पत्नी कुछ भी बोल पाने की हालत में नहीं है.
बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही कानपुर से हिप्पोपोटामस को लखनऊ वाले चिड़िया घर में लाया गया था.
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