ग्वालियर में हुआ था वाजपेयी का जन्म, कानपुर में उच्च शिक्षा
एक सुलझे राजनेता और बेहतरीन कवि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. वाजपेयी की शुरुआती शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से हुई. उनके पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक होने के साथ हिन्दी और ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे. वाजपेयी ने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत में शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वाजपेयी कानपुर पहुंचे और डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. उन्होंने कानून की पढ़ाई के लिए लॉ में भी एडमिशन लिया, लेकिन पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी.
पत्रकारिता से शुरू किया था करियर
साल 1942 में वाजपेयी ने छात्र जीवन में पहली बार भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बनें और राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे. कॉलेज के दिनों से ही उनकी रुचि विदेशी मामलों में बढ़ने लगी. वाजपेयी ने अपने करियर की शुरूआत पत्रकारिता से की. साल 1951 में भारतीय संघ में शामिल होने के बाद पत्रकारिता छोड़ दी.
9 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के रहे सांसद
राजनीति के क्षेत्र में चार दशक तक सक्रिय रहने वाले वाजपेयी लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए. वर्ष 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे. साल 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बनें और आम चुनावों में भाजपा लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी. वाजपेयी ने देश का प्रधानमंत्री पद संभाला, लेकिन लोकसभा में बहुमत नहीं जुटा सके. 13 दिन की सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर संसद में दिए गए उनके भाषण ने विरोधियों को भी अपना कायल बना दिया. इस भाषण का ऐसा असर हुआ कि वाजपेयी 13 महीने और बाद में 5 साल तक देश के प्रधानमंत्री बनें. राष्टीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में 13 अक्टूबर 1999 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बनें.
सुशासन दिवस के रूप में मनाते है वाजपेयी का जन्मदिन
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को हर साल सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. सुशासन दिवस की स्थापना 2014 में की गई थी. भारत के दसवें प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी को 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
जब वाजपेयी ने दहेज में मांगा था पूरा पाकिस्तान
वाजपेयी के शानदार भाषण और तर्क के आगे कोई टिक नहीं पाता था. 16 मार्च, 1999 की बात है, वाजपेयी ने भारत-पाकिस्तान के रिश्ते सुधारने के लिए अम्रतसर से लाहौर तक की बस सेवा शुरू की और स्वयं बस में बैठकर लाहौर गए. वाजपेयी जब गवर्नर हाउस में संबोधित कर रहे थे, उस दौरान महिला पत्रकार ने भरी सभा में वाजपेयी के सामने शादी का प्रस्ताव रखकर कहा कि मैं आपसे शादी करने को तैयार हूं, लेकिन आप मुंह दिखाई में मुझे कश्मीर देंगे. ये बात सुनकर वाजपेयी हंस पड़े और बेबाकी से जवाब देते हुए बोले मैं भी शादी के लिए तैयार हूं, लेकिन दहेज में मुझे पूरा पाकिस्तान चाहिए. वाजपेयी के हाजिर जवाब पर पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा. इस किस्से को आज भी लोग याद करते है.
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ