यहां से वह सूर्य का अध्ययन शुरू करेगा। यह पृथ्वी से 1.5 मिलियन (15 लाख) किलोमीटर दूर स्थित है। आदित्य एल1 को 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) से लॉन्च किया गया था।
मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के कार्यक्रम में इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि वैज्ञानिक आदित्य L1 पर पूरी नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदित्य एल 1 के इंजनों को ऑन किया जाएगा। इसके बाद यह हेलो ऑर्बिट में प्रवेश कर सके। आदित्य L1 के सभी पेलोड का परीक्षण किया जा चुका है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि जब तक आदित्य L1 के उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं तब तक डाटा मिलता रहेगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इसरो प्रमुख ने कहा था, 'जब यह एल1 प्वाइंट पर पहुंचेगा, हमें इंजन को एक बार फिर से चालू करना होगा ताकि यह आगे न बढ़ें। यह उस बिंदु तक जाएगा और एक बार जब यह उस पर पहुंच जाएगा तो उसके चारों ओर घूमेगा और L1 पर रह जाएगा।'
अब तक कौन-कौन से देश भेज चुके हैं सूर्य मिशन?
भारत ने पहली बार सूर्य मिशन लॉन्च किया है। भारत से पहले 22 मिशन सूर्य पर भेजे जा चुके हैं। सूर्य का अध्ययन करने के लिए अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल है। बता दें कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए सबसे अधिक सूर्य मिशन नासा ने भेजे हैं। नासा ने अकेले 14 सूर्य मिशन भेजे हैं। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर 1994 में सूर्य मिशन भेजा था। नासा ने 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन का मकसद सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का सैंपल लेना था।
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