मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुजुर्ग ने अपने ट्रेन टिकट को कैंसिल कराने के लिए इंटरनेट पर मौजूद वेबसाइट का सहारा लिया. इसके बाद खुद को रेलवे का कर्मचारी बताने वाले व्यक्ति ने विक्टम बुजुर्ग को कॉल किया और उसने पूछा कि वह हिंदी और इंग्लिश बोल सकते हैं. फिर टिकट कैंसिल कराने के लिए वे बुजुर्ग को इंस्ट्रक्शन देने लगे.
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मदद के बहाने लूटे रुपये
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कैमर्स ने बताया कि वह बुजुर्ग की मदद कर रहा. इसके बाद विक्टम ने स्कैमर्स द्वारा दिए गए इंस्ट्रक्शन को फॉलो करना शुरू किया. फिर स्क्रीन पर ब्लू कलर का लोगो नजर आया और फिर डिवाइस का कंट्रोल फ्रॉड के हाथों पर पहुंच गया.
कॉल के दौरान यूजर्स की चुरा ली बैंक डिटेल्स
इसके अलावा बुजुर्ग ने स्कैमर्स को खुद की बैंक डिटेल्स और ATM Card नंबर आदि शेयर कर किए. इसके बाद स्कैमर्स ने यूजर्स के फोन में वायरस को इंस्टॉल किया, उसके बाद मोबाइल को रिमोट एक्सेस पर ले लिया. फिर यूजर्स के मोबाइल से डेटा एक्सेस, बैंक डिटेल्स एक्सेस और OTP आदि का एक्सेस ले लिया.
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स्कैम का पता कब लगा
विक्टम के बैंक अकाउंट की तरफ से एक मैसेज आया, जिसमें 4,05,919 रुपये कटने की जानकारी थी. इसके बाद विक्टम को पता चला कि वह स्कैम का शिकार हो चुके हैं. इसके बाद उन्होंने पुलिस को कंप्लेंट की और पता चला कि स्कैमर्स ने शायद बिहार या पश्चिम बंगाल से कॉल किया. साइबर सेल की पुलिस ने बताया कि Rest Desk नाम के ऐप से स्कैमर्स ने बुजुर्ग के मोबाइल का एक्सेस लिया.
कैसे हैक होता है डिवाइस?
स्कैमर्स आमतौर पर विक्टिम के डिवाइस में अलग-अलग malware इंस्टॉल करते हैं, उसके बाद डिवाइस का कंट्रोल लेते हैं. इनमें से एक Remote Access Trojans (RAT) है, जो स्कैमर्स को यूजर्स के सिस्टम का कंट्रोल देता है. ऐसे में संभावना जताई है कि विक्टम के मोबाइल में भी स्कैमर्स ने Remote Access Trojans (RATs) से मोबाइल का एक्सेस लिया होगा. इसके अलावा एक keyloggers नाम का भी टूल है, जो यूजर्स द्वारा दबाई गए बटन की जानकारी शेयर करता है. ऐसे में स्कैमर्स बैंक डिटेल्स, लॉगइन और पासवर्ड आदि हैक कर लेते हैं..
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