आखिर क्यों होते हैं, सांप और नेवले एक-दूसरे के खून के प्यासे कौन किस पर पड़ता है भारी, जानिए क्या हैं इसका रहस्य...

Digital media News
By -
2 minute read
0

आखिर क्यों होते हैं, सांप और नेवले एक-दूसरे के खून के प्यासे कौन किस पर पड़ता है भारी, जानिए क्या हैं इसका रहस्य...

सांप और नेवले (Why Mongooses Snakes Enemies) को लेकर कई उपमाएं दी जाती हैं. दोनों की दुश्मनी के किस्से बेहद फेमस हैं. हर कोई जानता है कि जब सांप और नेवला आमने सामने होते हैं तो उनके बीच युद्ध होना लाजमी है. पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर दोनों के बीच ये दुश्मनी (Saanp Nevle ki Dushmani) क्यों है? आखिर क्यों दोनों एक दूसरे को पसंद नहीं करते? चलिए विज्ञान के अनुसार इस सवाल का सही जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

वेबसाइट forestwildlife.org की रिपोर्ट के अनुसार नेवले और सांप एक दूसरे के दुश्मन इसलिए होते हैं क्योंकि उन्हें प्रकृति ने ही ऐसा बनाया है. ये उनका प्राकृतिक वृत्ति (Natural Instinct) होता है जो दोनों को एक दूसरे का दुश्मन बना देता है. कई तरह के सांप नेवले के बच्चों को अपना भेजन बना लेते हैं और बेहद छोटे बच्चों पर तब हमला कर देते हैं, जब मादा नेवला उस वक्त वहां ना मौजूद है. एक कारण है कि नेवले, सांपों से खुद को और बच्चों को बचाने के लिए हमला कर देते हैं. सांप, नेवलों के आहार का अहम हिस्सा होते हैं. वो फूड चेन का पार्ट हैं.

सांप-नेवला दुश्मन क्यों होते हैं?

पर सवाल ये उठता है कि दोनों में से जीत किसकी होती है? भारतीय नेवले, जो आपको शहरों या गांवों में आसानी से दिख जाएंगे, बड़े से बड़े सांपों को पछाड़ देते हैं. यहां तक कि दुनिया का सबसे जहरीला सांप, किंग कोबरा भी इन नेवलों का शिकार बन जाता है. नेवले, सांपों की तुलना में इतने तेज होते हैं कि वो सांप के सिर और शरीर के पिछले हिस्से पर घातक प्रहार करते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. पर कई बार ऐसा भी होता है कि नेवले की भी सांप के हमले में मौत हो जाती है. वो जब सांप को मारकर खाते हैं, तो सांप के दांत उनके पेट में या शरीर के किसी अन्य हिस्से में चुभ जाते हैं जिससे अंदरूरी ब्लीडिंग होने लगती है.

सांप-नेवले की लड़ाई में कौन जीतेगा

कई बार तो किंग कोबरा जैसा जहरीला सांप भी नेवले को काट देता है पर उसकी मौत नहीं होती. ऐसा इसलिए क्योंकि वो सांप के जहर के प्रति इम्यून रहता है. सांपों के दिमाग में कास न्यूरोट्रांसमिटर होता है जिसे एसिटायलकॉलिन कहते हैं. ये एसिटायलकॉलिन, खून में जहर से मिल जाता है और उसे न्यूट्रलाइज कर देता है. इस तरह जो जहर होता है वो नेवले के नर्वस सिस्टम तक नहीं पहुंच पाता. कई जानकारों का दावा है कि नेवले और सांप की लड़ाई में 75 से 80 बार नेवले की ही जीत होगी.

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)