गृह मंत्रालय की तरफ से ये फैसला इसलिए लिया गया है, ताकि सीएपीएफ में स्थानीय युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके. इससे क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन भी मिलेगा. हाल ही में सरकार ने बताया था कि सीएपीएफ में खाली पदों की संख्या 84 हजार से ज्यादा है. इन पदों को भरने के लिए समय-समय पर भर्ती नोटिफिकेशन जारी किया जा रहा है. बड़ी संख्या में युवाओं की तरफ से इन नौकरियों के लिए अप्लाई भी किया गया है. आइए जानते हैं कि किन भाषाओं में एग्जाम करवाए जाने हैं.
किन भाषाओं में होगी परीक्षा?
सरकार ने बताया है कि कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) परीक्षा का पेपर हिंदी और इंग्लिश में तो आएगा ही, इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में भी एग्जाम देने का ऑप्शन मिलेगा. हिंदी और इंग्लिश के अलावा कुल मिलाकर 13 क्षेत्रीय भाषाओं में क्वेश्चन पेपर तैयार किए जाएंगे. इन भाषाओं में असमिया, बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, ओडिया, उर्दू, पंजाबी, मणिपुरी और कोंकणी शामिल हैं.
क्या होगा क्षेत्रीय भाषा से फायदा?
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि लाखों उम्मीदवारों को अपनी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा में एग्जाम देने का मौका मिलेगा. अपनी मातृभाषा में एग्जाम देने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे उम्मीदवारों की चयन की संभावना बढ़ जाएगी. वहीं, गृह मंत्रालय और स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (SSC) कई भारतीय भाषाओं में एग्जाम करवाने के लिए मौजूदा समझौता ज्ञापन से संबंधित एक परिशिष्ट पर हस्ताक्षर करने वाले हैं.
SSC की तरफ से कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) के लिए एग्जाम आयोजित किया जाता है. इस एग्जाम में हिस्सा लेने वाले युवाओं की संख्या लाखों में है. हिंदी और इंग्लिश के अलावा 13 अन्य भाषाओं मं एग्जाम 1 जनवरी, 2024 से करवाए जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारें मातृभाषा में एग्जाम देने के मौके का फायदा उठाएंगी. साथ ही युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास भी किए जाएंगे.
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